मनोरंजन

प्रवीण प्रभाती – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

हार (पराजय)-

मानें हार न हार से, पहने विजयी हार।

हार मानते व्यक्ति जो, हृदय बसायें हार।

 

हृदय बसायें हार, सदा वे हिम्मत हारे।

मन से हो कमजोर, चाहते सदा सहारे।

 

विजय बढ़ाती “शान”, हार की कीमत जानें।

रखें सफलता ध्यान, कभी भी हार न मानें।।

 

संघर्ष –

संघर्षों से जीवन सवर जाता है

क्या होता है और क्या हो जाता हैं

 

संघर्ष न होता तो कुछ भी न होता

न बहारे आती अगर पतझड़ न होता

 

चांद का घटना और बढ़ना कला है उसकी

वरना कवि की कल्पना और पूरनमासी का चांद  ना होता

 

पहारौ से गिरता पानी सौंदर्य है झरने का

अगर चट्टानो से ना टकराता तो मीठा न होता

 

संघर्ष है तो जीवन हैं,जीवन है तो संघर्ष है

ब्यक्ति का ब्यक्तित्व न निखर पाता अगर संघर्ष न होता।

– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश

Related posts

भोजपुरी ठुमरी लोक गीत – श्याम कुमार भारती

newsadmin

मन मेरा बड़ा पछताया – मुकेश कुमार

newsadmin

होली के अवसर पर हुआ जिला शाखा का गठन एवं काव्य संध्या

newsadmin

Leave a Comment