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वृक्ष थे छायादार पिताजी – महावीर उत्तरांचली

राम भजे हर बार पिताजी,

थे भक्ति का अवतार पिताजी।

 

नाव लगाई हरदम द्वारे,

तूफां में पतवार पिताजी।

 

घर बगिया को खूब सजाया,

थे फूलों का हार पिताजी।

 

लड़ जाते थे हर मुश्किल से,

आँधी में दीवार पिताजी।

 

छाँव में उनकी हम सब पनपे,

वृक्ष थे छायादार पिताजी।

– महावीर उत्तरांचली, पर्यटन विहार

वसुंधरा एन्क्लेव , दिल्ली  – 110096

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