मनोरंजन

लड़कियाँ – रूबी गुप्ता

ब्याही लड़कियाँ  छोड़ आतीं हैं बहुत कुछ अतीत में।

और ज़ीने लगतीं हैं एक अन्जानी जिंदगी।

जहाँ  होता है वर्तमान और भविष्य लेकिन नही होता भूत।

पसंद नापसंद भूलकर निभाने लगतीं हैं रश्में।

बन जातीं हैं पत्नी, बहु, भाभी, माँ और भी बहुत कुछ।

बस बन नही पातीं किसी की दोस्त।

जहाँ  खोल सकें  अतीत की तिजोरी।

हाँ भरें पूरे परिवार में भी रहतीं हैं अकेली।

बना दिया जाता है उसे घर की मालकिन या कुछ और भी।

बस बन नहीँ पातीं वो बेटी या लड़ाकू बहन।

शायद इसीलिए माँ या दादी  बनकर भी ,

रह जाती हैं  मन से कुंवारी ही।

– रूबी गुप्ता, कुशीनगर , उत्तर प्रदेश

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