क्या दोष है नुपुर का संज्ञान चाहता हूँ ।
ओ हिंदुओं तुम्हारा मतदान चाहता हूँ।।
क्यों आफताब देखो चंदा से डर रहा है ।
कैसा ख़ुदा है अपनी निंदा से डर रहा है ।।
यदि एक है ख़ुदा तो फिर आग क्यों जली है ,
ऐसा लगा हिमालय नंदा से डर रहा है ।।
इन आंधियों के ऊपर तूफान चाहता हूँ ।
अपनी सुता की ख़ातिर अभियान चाहता हूँ ।।1
मुल्ले नामजिये क्यों करने लगे तमाशा ।
संघी समाजियों ने क्यों रोप दी हतासा ।।
शिव जी हमारे जिनकी मस्ज़िद में कैद पाए ,
इस कृत्य से दिखा है हिन्दू ठगा ठगा सा ।।
जो आग ये बुझा दे वो बाण चाहता हूँ ।
काशी महेश का मैं सम्मान चाहता हूँ ।।2
कोई नहीं बताता क्या धर्म की दिशाएं ।
मुल्लों के हाथ कैदी जगदीश की दशाएं ।।
भ्रम जाल में मुसलमां कश्ती किधर चली है ,
सच्चे नबी का इनमें ईमान चाहता हूँ ।
सद्बुद्धि इनको दे वो वरदान चाहता हूँ ।।3
समझे नहीं जो अब तक मनुहार हिंदुओं की ।
भारी पड़ेगी उनको यलगार हिंदुओं की ।।
वो सह नहीं सकेंगे ललकार हिंदुओं की ,
अब खून मांगती है तलवार हिंदुओं की ।।
जय हिंद चाहता हूँ उत्थान चाहता हूँ ।
मैं विश्व में पुरानी पहचान चाहता हूँ ।।4
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून