मनोरंजन

ग़ज़ल – किरण झा

एक बार दिल के करीब आ ही जाईए,

धड़कन की रफ्तार को बढ़ा ही जाईए।

 

कितनी मसाफत है दोनों के दरमियाँ,

अपनी करीबी से जरा मिटा ही जाईए।

 

चुम लिया करते हैं अब्सार तेरी यादें,

सपने को जरा इक दफा सजा ही जाईए।

 

सितम जमाने का कभी याद ना तू कर,

जज्बातों को आप जरा बता ही जाईए।

 

फरियाद यही हम सदा खुदा से करते हैं,

फूल अपने तबस्सुम का खिला ही जाईए।

 

चाहत को नजारत यहाँ मिलती ही रहे,

ख्वाहिशों से एक बार”किरण”मिला ही जाईए।

– किरण -झा , राँची, झारखण्ड़

Related posts

अहसास मेरे – ज्योति अरुण

newsadmin

बिहार में जातिगत जनगणना पर मुखर राहुल गांधी ने बढ़ायी तेजस्वी की मुश्किलें – कुमार कृष्णन

newsadmin

दो बदन – अनुराधा पाण्डेय

newsadmin

Leave a Comment