मनोरंजन

ऐसे क्या देखते हो – सुनीता मिश्रा

सुनो !

ऐसे क्या देखते हो ?

आ गई हूंँ जब सामने।

मूंद लिया करो

पलकें अपनी

मिल जाऊंगी मैं

मिल जाऊंगी मैं तब भी

जब नहीं रहूंगी पास

जाने को तो रोज ही

जाती हूं दूर तुमसे

देखना होता है जब तुमको

बंद कर लेती हूं पलकें अपनी

नजर आ जाते हो तुम

मुस्कुराते हुए।

जानते हो तुम भी

जानती हूं मैं भी

नहीं जी सकते हैं

बिना एक दूजे के

बसा रखा है एक दूजे को

आंखों में अपनी

– ✍️सुनीता मिश्रा, जमशेदपुर

Related posts

विभूति फीचर्स के लेखक रमाकान्त पन्त सम्मानित

newsadmin

शिक्षक नेता शम्भु सिंह मेड़‌तिया को बहाल किया जाये – धर्मेन्द्र गहलोत

newsadmin

ग़ज़ल (हिंदी) – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

Leave a Comment