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गौरेया – रेखा मित्तल
पंछियों में सबसे न्यारी गौरेया, हाथ किसी के न आती अपनी भाषा में गुनगुनाती गौरेया,...
ग़ज़ल (हिंदी) – जसवीर सिंह हलधर
कोठी मिले या झोपड़ी कोई मकां मिले, हर जन्म में रहने को ये हिंदोस्तां मिले।...
इहे गुजारिश – अनिरुद्ध कुमार
जनता के केकरा चिंता, बाहुबल के रोज नुमाइश। देख गरीब छाती पीटे, नेतन के बल...
नदियाँ सबको समझाती हैं – भूपेश प्रताप सिंह
कल-कल करती नदियाँ बहतीं, अपने मन की कहती जातीं। कंकड़- पत्थर से टकराकर, हर...
साथ चलते-चलते – मधु शुक्ला
सामाजिक प्राणी है मानव, नहीं अकेला रह सकता। साथ किसी का जब पाता है, सुख...